सोमवार, 7 दिसंबर 2020

अविष्कारों का खोजी तकनीशियन

चरित चर्चा/केवल तिवारी

(यह मैटर करीब चार साल पहले दैनिक ट्रिब्यून में छप चुका है।)

वह स्कूली शिक्षा के दौरान कभी पढ़ाई में अव्वल नहीं रहे। कक्षा में पीछे बैठने वाले विद्यार्थियों में शुमार रहे। अड्डïेबाजी में समय बिताते रहे। लेकिन उनके दिमाग में कुछ न कुछ फितूर चलता रहता। किसी तकनीक से मिलने वाले फायदे और उसकी लागत की बात होती तो उनके मन में बार-बार सवाल उठता कि अगर ये कर लें तो लागत कम हो जाये और अगर ऐसा कर लें तो तकनीकी झमेले कम हो जायें। कभी उनकी बात सही भी साबित हो जाती और कभी सारी कोशिश बेकार जाती। लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा कुछ कर दिया कि पूरे अमेरिकी टेलीविजन चैनल कंपनियां सकते में आ गयी हैं। उनकी खोज से उपभोक्ताओं के हित की बात तो बाद में होगी, पहले मामला कोर्ट में चला गया है। कोर्ट में शुरुआती सुनवाई उनके पक्ष में जाती नहीं दिख रही, लेकिन भारतीय मूल के इस व्यक्ति की चर्चा पूरे संसार में हो रही है। नाम है चेत कनौजिया। उम‎्र 43 वर्ष। एयरो डॉटकॉम के मुखिया।
असल में श्री कनौजिया अमेरिका में जाकर चेत बने। उनका मूल नाम है चैतन्य कनौजिया। चैतन्य का जन्म मध्य प‎्रदेश के भोपाल में हुआ। उनकी शुरुआती पढ़ाई भी यहीं हुई। चैतन्य भले ही पढऩे में अव्वल नहीं थे, लेकिन तकनीकी ज्ञान लेने का उन्हें बहुत शौक बचपन से ही था। बेशक वह पढ़ाई में टॉपर में शुमार नहीं होते, लेकिन कभी फेल भी नहीं हुए। यह दीगर है कि रुटीन पढ़ाई में उनका मन कम ही लगता था। वह रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के तकनीकी पहलुओं को गौर से देखते, समझते और उनसे संबंधित जानकारी जुटाते। रेडियो से आवाज कैसे आती है, किसी गाने को सुनते वक्त उसकी आवाज में और गहराई कैसे लायी जा सकती है। फोटोग‎‎‎‎्राफी के और नये एंगल क्या हो सकते हैं वगैरह-वगैरह... तमाम सवाल उनके मन में कौंधते रहते। हाईस्कूल, इंटरमीडिएट करने के बाद चैतन्य ने भोपाल के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। इसके बाद वर्ष 1991 में वह अमेरिका आ गये। यहां इन्होंने अपना नाम चेत कनौजिया रख लिया। यहां से उन्होंनं कंप्यूटर इंजीनियरिंग में पोस्ट ग‎्रेजुएट किया। चेत इसके बाद कई कंपनियों में काम करने लगे और वहां तकनीकी सुझाव देने में धीरे-धीरे इनका नाम प‎्रसिद्ध होने लगा। रोबोटोटिक डाटा और सूचना तकनीक में नित नये प‎्रयोग करने वाले चेत का ही कारनामा था कि उनके पास 14 से अधिक ऐसी ही तकनीकी पेटेंट अधिकार है। फिलवक्त चेत एयरो कंपनी में हैं। वर्ष 2010 से यह कंपनी उनके नेतृत्व में लगातार नयी ऊंचाइयां छू रही है। इन तमाम उपलब्धियों से इतर पिछले दिनों का नाम तब सबकी जुबां पर आया जब अमेरिकी टीवी चैनल्स को खतरा महसूस होने लगा। असल में उन्होंने एक रुपये के आकार का एक ऐसा एंटीना बनाया है जो टेलिविजन सिग्नल पकडक़र उसे इंटरनेट के जरिए उपभोक्ताओं के पास भेजता है। यही नहीं बिना तार के काम करने वाले इस एंटीने में लगी चिप की सहायता से उपभोक्ता टीवी कर्यक‎्रमों की रिकॉर्डिंग भी कर सकते हैं। एंटीना लगाने का खर्च कम है और आगे भी इसे कम खर्च पर जारी रखा जा सकता है। यही नहीं इसी डिवाइस के जरिये टीवी कार्यक‎्रमों को इंटरनेट के जरिये भी देखा जा सकता है। उनकी इस खोज के बाद अमेरिका की तमाम टीवी चैनल्स कंपनियां कोटर्‎ में पहुंच गयीं। उनका तर्क था कि चेत के इस एंटीने के प‎्रयोग को अगर छूट दी जाएगी तो एक प‎्रकार की औद्योगिक अराजकता की स्थिति पैदा हो जायेगी। असल में माना यह जा रहा है कि इस अविष्कार के कारण अमेरिकी कंपनियों का भारी नुकसान होगा। दूसरी तरफ कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि चेत कनौजिया का यह अविष्कार उपभोक्ताओं के लिए बेहद लाभप‎्रद होगा। उपभोक्ता सिर्फ एक यूजर आईडी और पासवर्ड के जरिए जिस उपकरण पर चाहे अपने पसंदीदा चैनल देख सकता है वो भी केवल आठ डॉलर प्रतिमाह के शुल्क पर, जबकि केबल कंपनियां इसके लिए 100 से 200 डॉलर तक वसूलती हैं। मामला अमेरिकी कोर्ट में है। चेत को उम्मीद है कि जीत उनकी होगी। इस अविष्कार से आम उपभोक्ता को कितना फायदा होगा और कब से यह तो आने वाले समय में पता चलेगा, लेकिन अविष्कार की उपयोगिता और संभावित फायदे ने सबको चौंका तो दिया ही है। देखना यह होगा कि चेत अब आने वाले समय में और ऐसा क्या खोज लाते हैं कि दुनिया उनकी तकनीकी ज्ञान का लोहा मानने लगे। 

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