शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

हंसते-कूदते दिखे बच्चे : तस्वीर तो सुखद है, नजर न लगे

केवल तिवारी बृहस्पतिवार 19 अगस्त, 2021 को ऑफिस आते वक्त किसी को ड्रॉप करने थोड़ा आगे तक जाना पड़ा। ट्रिब्यून चौक से कोई चार चौक और आगे। लौटते वक्त कई जगह बच्चे दिखे। स्कूली बच्चे। ज्यादातर शायद 9वीं से 11वीं या 12वीं तक के बच्चे होंगे। कहीं वे हंस रहे हैं, कहीं साइकिल से रेस कर रहे हैं और कहीं पैदल चलते हुए किसी विषय पर चर्चा कर रहे हैं। उन्हीं में से कुछ बच्चे बस या ऑटो में बैठने के लिए दौड़ भी रहे हैं। बहुत दिनों बाद दिखी ऐसी तस्वीर। बड़ा अच्छा लगा। मैं ऑफिस के लिए चला आ रहा था और पता नहीं क्यों मेरी नजर हर बार बच्चों पर ही चली जाती थी। हर चौक के पास। अलग-अलग ड्रेस में। जब ऑफिस के गेट पर पहुंचा तो वहां कई बच्चे बाहर लगे वाटर कूलर से बोटल में पानी भर रहे थे। एक-दो बच्चे वहीं पानी पी भी रहे थे। कंधे पर बैग टंगे हुए। पास में साइकिल खड़ी। एक साइकिल में दो-तीन बच्चे। मुझे पुराने दिन याद आ गये। लखनऊ मांटेसरी स्कूल में हम साथी लोग भी साइकिल से जाते थे। कई बार साइकिल नहीं होती तो कभी मित्र विमल तो कभी कोई और तेलीबाग तक छोड़ जाते। कई बार हम लोग भी एमईएस (MES) के दफ्तर में जाकर ठंडा पानी पीते। कभी बेर तोड़ने लग जाते और कभी-कभी इमली भी तोड़ते। रास्ते में कैंट एरिया में ड्यूटी पर तैनात किसी फौजी को सैल्यूट कर देते। हमारे लिए यह सब मजाक था, लेकिन फौजी भी कभी-कभी गजब के होते। वे हमारे सैल्यूट का जोरदार तरीके से जवाब देते और हंस देते। एक-दो बार डांट भी पड़ी। खैर... आज बहुत दिनों बाद बच्चों की ऐसी टोलियां देखकर बहुत प्रसन्नता मिली। देख रहा था कि कुछ दिनों से कोरोना महामारी की खबरें भी मीडिया में हाशिये पर हैं। कई अखबारों में तो पहले पन्ने से गायब हैं। चैनल्स में भी लीड स्टोरी की तरह कोरोना की खबर नहीं है। मुंबई में कई फिल्मों की शूटिंग शुरू हो चुकी है। टीवी पर नये-नये शोज आने लगे हैं। उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में साप्ताहिक बाजारों को लगाने की अनुमति दे दी गयी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि हालात सुधरेंगे। याद है ना महामारी की दूसरी लहर। इस कोरोना की दूसरी लहर ने तो हिलाकर रख दिया। भतीजे बिपिन का जाना तो सचमुच अनर्थ सा लगा। अब भी लगता है जैसे वह अचानक कहीं से आ जाएगा। ऐसे ही कई मित्र गये। प्रशांत चला गया। हिंदुस्तान अखबार में हमारे वरिष्ठ रहे और हमेशा मार्गदर्शन करने वाले दिनेश तिवारी जी चले गये। राजीव कटारा जी चले गये, शेष नारायण सिंह जी चले गये। ऐसे कई अन्य हम उम्र, मुझसे छोटे पत्रकार और जानकार बंधु चले गये। खौफ का वह मंजर अब भी रौंगटे खड़े कर देता है। अब तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। साथ ही यह भी चेतावनी है कि बच्चों पर ज्यादा असर पड़ सकता है। कुछ दिन पहले एक सुखद संभावना थी कि हो सकता है कि तीसरी लहर न ही आये। ईश्वर से दुआ है कि अब बस हो। कोरोना का क्रंदन अब नहीं सुना जा सकेगा। हमें भी ध्यान रखना होगा। मैंने जैसा कि कुछ बच्चों से भी कहा, बच्चो स्कूल जाओ, अच्छा लग रहा है, लेकिन मास्क पहना करो। बच्चे तो बच्चे। मैं पहले से कहता रहा हूं कि बहुत मुश्किल है उन्हें ऐसी बंधनाओं में बांधना। मुझे याद है छोटे बेटे को जब बाहर जाने से रोकता था तो वह परेशान हो जाता। एक दिन तो मुझे भी अजीब लगा जब उसने आंगन के पास बाहर जाने के लिए दरवाजे पर खड़े होकर कहा, ‘पापा बाहर नहीं जाऊंगा, लेकिन जो बच्चे खेल रहे हैं, यहां खड़े होकर उनकी आवाज सुनता रहूं।’ ईश्वर कोरोना का खौफ अब न आये। हंसी-खुशी स्कूल आते-जाते बच्चों की इस तस्वीर पर किसी की नजर न लगे।

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