सोमवार, 12 जुलाई 2021

पुस्तक समीक्षा : असफलता के प्रेरक सबक


साभार : दैनिक ट्रिब्यून

केवल तिवारी

लेखक शाम लाल मेहता की किताब ‘हार से आंखें मिलाना...’ असफलता से सबक सीखने को प्रेरित करती है। असफलता किसी और को उत्तरदायी ठहराने या खिसियाने के लिए नहीं है। उनकी किताब के दो-तीन प्रमुख प्रसंग देखिए ‘कोई भी बाधा इतनी समर्थ नहीं कि आत्मविश्वास के बढ़ते कदमों को रोक सके, और कोई भी पराजय इतनी बड़ी नहीं हो सकती जो निष्ठावान योद्धा का सिर झुका सके। हमारा भय ही असफलताओं का पोषण करके उनको शक्तिमान बनाता है।’ ऐसे ही एक अन्य जगह लिखा है, ‘असफलता ब्रह्मांड के किसी अज्ञात अंधेरे कोने से एकाएक टूट पड़ने वाली विपत्ति नहीं बल्कि प्रकृति के कारण और परिणाम के कालजयी स्थापित नियम के अंतर्गत मिलने वाला हमारे कार्यों का परिणाम है।’ दरअसल, महत्वपूर्ण बात यह भी है कि ‘आप जो पाना चाहते हैं वह कोरी कल्पना की बात न हो और पूरे विश्वास के साथ उसे पाने का प्रयास किया जाये, तभी सफलता मिलती है।’ शाम लाल मेहता की इस किताब में उदाहरणों के साथ बेहतरीन ढंग से समझाया गया है कि कैसे असफलता और सफलता के बीच तनिक-सा फासला होता है।

किताब में बीच-बीच में पंचतंत्र, वेदवाणी, महान विचारकों-चिंतकों के कोट्स को भी दिया गया है। लेखक ने एक रोचक अधिकार यानी ‘असफलता के अधिकार’ का भी जिक्र किया है। लेखक ने विभिन्न उदाहरणों के जरिये बताया है कि संघर्ष के बिना मिली सफलता घातक है। दृढ़ इच्छाशक्ति सर्वशक्तिमान है। किताब में समझाने की कोशिश की गयी है कि कठिनाइयां बाधक नहीं, साधक हैं।

पुस्तक : हार से आंखें मिलाना लेखक : शाम लाल मेहता प्रकाशक : आस्था प्रकाशन, नयी दिल्ली एवं सिरसा पृष्ठ : 143 मूल्य : रु. 195.

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