रविवार, 17 जुलाई 2022

सेवा भाव, सेवा धाम, खेतीबाड़ी और प्राकृतिक चिकित्सा...

 केवल तिवारी

ये बच्चे कम से कम गैंगस्टर तो नहीं बनेंगे। पंक्तिबद्ध होकर जमीन में बिछी चटाई पर बैठकर भोजन के वक्त उक्त वाक्य अनायास ही साथ बैठे हमारे मित्र के मुंह से निकला। सचमुच, यह बात तो सही लग रही थी। जिस सेवाभाव से युवा वहां भोजन परोसने में लगे थे। जगह-जगह उनके द्वारा बनाए गए पोस्टर दिख रहे थे और अनुशासन का जो नजारा दिख रहा था, उससे यह बात तो तय थी कि ये बच्चे संस्कार सीख रहे हैं और संस्कारी व्यक्ति अपराध की ओर उन्मुख नहीं हो सकता। असल में पिछले माह हरियाणा के समालखा स्थित पट्टी कल्याणा सेवा धाम में ऐसा नजारा दिखा। सेवाधाम का विस्तृत परिसर में अभी काफी काम निर्माणाधीन है, लेकिन जो क्षेत्र बन गया है, वह भी अद्भुत है।

यहां पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बताया कि शिक्षा वर्ग में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली पांचों राज्यों के 308 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस सेवाधाम में पहुंचने के बाद वहां का नजारा एकदम अलग नजर आया। आधुनिक तरीके से परंपरागत खेती का नजारा, किसानों को प्रशिक्षण देने की योजना का विस्तार और भी बहुत कुछ जानने को मिला। खैर.. वहां बताया गया कि संघ आज भी व्यक्ति निर्माण के कार्य में ही लगा हुआ है। इस तरह के संघ शिक्षा वर्गों से निर्मित स्वयंसेवक समाज के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर समाज निर्माण और राष्टï्र जीवन को सुखी बनाने का काम करते हैं। जैसे श्रमिकों के क्षेत्र में भारतीय मजदूर संघ, कृषि क्षेत्र में भारतीय किसान संघ, विद्यार्थियों के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, शिक्षा के क्षेत्र में विद्या भारती, धार्मिक क्षेत्र में विश्व हिंदू परिषद, सामाजिक समरसता में भारत विकास परिषद, वनवासी कल्याण आश्रम आदि इस प्रकार से 30 ऐसे अखिल भारतीय संगठन समाज के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब भी समाज पर कोई आपदा या संकट आते हैं तो संघ के स्वयंसेवक मदद के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े हुए हैं। जैसे 1947 में विभाजन के समय लाखों हिंदू और सिख परिवारों को सुरक्षित बचा कर भारत लेकर आए। बताया गया कि उस वक्त 35 कार्यकर्ताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई कि वे वहां फंसे हिंदुओं और सिखों को निकालने तक वहीं रहें। गुरु जी के निर्देश पर उन्होंने बखूबी अपना काम निभाया, लेकिन बाद में उन कार्यकर्ताओं का पता नहीं चल पाया। उनकी सहायता के लिए पंजाब रिलीफ कमेटी बनाकर उनके रहने, खाने व दवाइयों का इंतजाम किया। आंध्रप्रदेश में तूफान आया तो वहां भी स्वयंसेवकों ने सेवा कार्य किए। तूफान में मारे गए हजारों लोगों की लाशें वहां पड़ी थी, उन सभी का अंतिम संस्कार किया। इसी प्रकार गुजरात के भूकंप के दौरान भी सेवा कार्यों के लिए सबसे पहले स्वयंसेवक ही आगे आए थे। 1975 में उस समय की सरकार ने देश में आपातकाल लगाकर तानाशाही थौंपने का प्रयास किया था। उस समय भी स्वयंसेवकों ने जन जागरण व सत्याग्रह दोनों काम किए और देश में फिर से प्रजातंत्र बहाल करवाने का कार्य किया। पंजाब में आतंकवाद के दौरान स्वयंसेवकों ने देश की एकता व अखंडता के लिए अनेक बलिदान दिए और आपसी भाईचारा बना कर रखा। कश्मीर में आतंकवाद हुआ, वहां भी कश्मीरी हिंदुओं की सहायता की। तुरंत प्रभाव से जम्मू-कश्मीर समिति का गठन कर पीडि़तों की सहायता की। 1995 में हरियाणा के डबवाली में अग्नि कांड हुआ तो वहां भी स्वयंसेवकों ने अपने प्राणों की आहुति देकर भी आग में फंसे हुए बच्चों को बचाया। उन्होंने बताया कि इस प्रकार देशभर में स्वयंसेवकों द्वारा सवा लाख सेवा कार्य चल रहे हैं। इसके अतिरिक्त प्रांतों में भी अपने सेवा कार्य चला रहे हैं। जैसे कि यह सेवा साधना केंद्र जहां हम बैठे हैं वह भी बन रहा है। इस सेवा केंद्र में भी कई तरह के सेवा कार्य चल रहे हैं। इसके साथ-साथ संघ के स्वयंसेवकों द्वारा धर्म जागरण, ग्राम विकास, गौसेवा, परिवार प्रबोधन, सामाजिक समरस्ता और पर्यावरण 6 प्रकार की गतिविधियां भी चलाई जा रही हैं। इन सभी गतिविधियों के माध्यम से राष्टï्र जीवन को सुखी बनाने का कार्य चल रहा है। रामेश्वर दास ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि वह भी संघ के कार्य को समझें और संघ द्वारा संचालित किसी भी सेवा के कार्य से जुड़कर समाज सेवा में अपना योगदान दें। वर्ग कार्यवाह डॉ. चंद्रप्रकाश ने बताया कि इस 20 दिवसीय वर्ग में पांच राज्यों से 308 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इनको प्रशिक्षण देने के लिए 38 शिक्षक व अन्य प्रबंधन के लिए 25 प्रबंधकों ने वर्ग में अपना सहयोग किया। कार्यक्रम में बतौर प्रशिक्षक पहुंचे हमीरपुर एनआईटी में असिस्टेंट प्रोफेसर चंद्रप्रकाश जी से भी सार्थक बातचीत हुई। चंद्रप्रकाश जी के पास हिमाचल प्रदेश के प्रांत सहकार्यवाह की जिम्मेदारी है। उन्होंने बहुत सधे अंदाज में संघ के क्रियाकलापों के बारे में बताया।

मशरूम उपजने का ‘सीधा प्रसारण




वहां खेती प्रशिक्षण के लिए बने विस्तृत क्षेत्र में से एक भाग देखा मशरूम के तैयार होने का। यहां बाहार एक मशीन के जरिये खाद में मशरूम के बीज डालकर तैयार हो रहे थे। बताया गया कि पराली से खाद का निर्माण हो रहा है। खाद बनने की प्रक्रिया को भी देखा और सुखद लगा यह सुनकर अब यहां आसपास के इलाके की सारी पराली यहां खप जाती है। गौर हो कि पराली जलाने के कारण प्रदूषण के कारण होने वाली परेशानियों से हम सब लोग पिछले कई वर्षों से रू-ब-रू होते रहे हैं। मशरूम तैयार करने के काम में जुटे लोगों ने पूरे प्रोसेस को समझाया और दिखाया। ऑर्गेनिक तरीके से मशरूम तैयार करने का यह नजारा हम में से अनेक लोगों ने पहली बार देखा। अलग-अलग तापमान में इन्हें रखने से लेकर पैकिंग तक। यह नजारा अद्भुत रहा। इसके अलावा वहां मौजूद लोगों ने बताया कि कैसे ककड़ी, खीरा, तरबूज अदि की भी ऑर्गेनिक तरीके से खेती हो रही है और खेती-बाड़ी के नये अंदाज में पारंपरिक तरीके को लेकर आसपास के किसानों के प्रशिक्षण का काम जल्दी शुरू होगा।

और प्राकृतिक चिकित्सा का वह नजारा

डाक्टर विकास सक्सेना

पट्टी कल्याणा पहुंचे ही थे तो प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र तो जाना बनता ही था। यहां के गांधी स्मारिक निधि केंद्र में स्थिति प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के मुख्य चिकित्सक डॉ. विकास सक्सेना से बातचीत हुई। उन्होंने बहुत अपनेपन और बेहद सरल अंदाज में प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व को समझाया। साथ ही बताया कि दिल्ली-एनसीआर से ज्यादातर मरीज ओवरवेट की शिकायत लेकर आते हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति में ही हमारे शरीर के विकारों को दूर करने के उपाय छिपे हैं, बस जरूरत है उन्हें पहचानने की। उन्होंने बताया कि अनेक लोग महीनेभर उस चिकित्सा केंद्र में रहकर स्वस्थ होकर गए हैं। हमारी कई तरह की जिज्ञासाओं को उन्होंने शांत किया और उनके पास आए अनेक मरीजों से भी मिलने का मौका मिला। विकास सक्सेना जी से यूट्यूब के जरिये भी रू-ब-रू होते रहते हैं। डॉक्टर साहब का धन्यवाद। साथ ही धन्यवाद उन सभी वरिष्ठों का, जो इस यात्रा के माध्यम बने।